महामृत्युंजय कवच के लाभ
मृत्युंजय कवच का जाप करने से धन-धान्य और संतान की प्राप्ति होती है। मृत्युंजय कवच का पाठ करने वाले व्यक्ति को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके सकल मनोरथ महादेव की कृपा से पूरे होते हैं। वहीं सावन के महीने में इस कवच का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
कवच का पाठ करने से जपकर्ता की देह सुरक्षित होती है। जिस प्रकार सैनिक की रक्षा उसके द्वारा पहना गया कवच करता है उसी प्रकार साधक की रक्षा यह कवच करता है। इस कवच को लिखकर गले में धारण करने से शत्रु परास्त होता है। इसका प्रातः, दोपहर व सायं तीनों काल में जप करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। इसके धारण मात्र से किसी शत्रु द्वारा कराए गए तांत्रिक अभिचारों का अंत हो जाता है। धन के इच्छुक को धन, संतान के इच्छुक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय जाप कितने दिन करना चाहिए?
सामान्यतः यह जप संख्या कम से कम 45 और अधिकतम 84 दिनों में पूर्ण हो जानी चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र में कितनी शक्ति है?
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥ मंत्र में 33 अक्षर हैं जो 33 देवताओं के घोतक हैं. इन तैंतीस देवताओं में 8 वसु, 11 रुद्र और 12 आदित्यठ, 1 प्रजापति और एक षटकार हैं. इन तैंतीस देवताओं की सारी शक्तियां महामृत्युंजय मंत्र में निहीत होती है
महामृत्युंजय का पाठ कैसे करते हैं?
महामृत्युंजय मंत्र पूजा विधि
- जाप माला के साथ भगवान शिव के महामृत्युंजय जाप मंत्र का 108 बार जाप करें।
- शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं और दूध और जल से अभिषेक करें।
- संकल्प करना (एक बर्तन में पानी डालना और भगवान शिव का आशीर्वाद माँगना)।
- भगवान शिव की 5 वस्तुओं से प्रार्थना करें जो एक दीपक, धूप, जल, बेल के पत्ते और फल हैं